बुढ़िया और उसकी गाय हिन्दी कहानी
Budiya or uski gay hindi stories
एक बुढ़िया के पास लाल रंग की गाय थी। बुढ़िया उसे बहुत ही प्यार करती थी और प्यार से उसे लाली कह कर बुलाती थी। वह प्रतिदिन सुबह दूध दुहने के बाद गाय को चरने के लिए छोड़ देती थी और शाम होते ही गाय चर कर वापस घर आ जाती थी। यह उसका रोज का नियम था। एक दिन कि बात है लाली शाम को समय से घर नहीं लौटी। इस चिंता में डूबी बुढ़िया गाय को खोजने निकल पड़ी। कुछ चलने के बाद बुढ़िया को दूर एक खेत में गाय खड़ी दिखी। वह पास गई और बोली "तुम यहां खड़ी हो और मैने तुम्हे कहां-कहां नही ढूंढ़ा अब घर चलो! "बुढ़िया की बात सुनकर लाली चुपचाप खड़ी रही। बुढ़िया के बार-बार कहने पर लाली बोली "मैं नहीं चलूंगी, क्या करूंगी घर जाकर? गाय की बात सुनकर बुढ़िया की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें।
उदास मन से बुढ़िया वापस लौटने लगी। कभी रास्ते में उसे एक कुत्ता मिला। वह उदास मन से कुत्ते से बोली, "तुम तो इसांनो की बहुत सेवा करते हो न। मेरा भी एक काम कर दो। मेरी गाय घर नहीं आ रही है मुझे दूध नहीं मिलेगा। तुम इसे काट लो! इस बात पर कुत्ता बोला मुझे क्या मतलब? मैं नहीं काटूँगा।"
कुत्ते को मना करने के बाद बुढ़िया आगे बढ़ी। इतने मे उसे एक लकड़ी का डंडा दिखाई दिया। वह डंडे के पास जाकर बोली,"डंडे - डंडे इस कुत्ते को मारो। यह मेरी गाय को नहीं काटता है।" डंडे ने कहा, "तो मैं क्या करुँ? मैं नहीं मारूंगा।" दुःखी मन से बुढ़िया आगे निकली। कछ दूर चलने के बाद रास्ते मे उसे आग दिखाई दिया। बुढ़िया ने आग से कहा "तुम इस डंडे को जला दो क्योंकि डंडा कुत्ते को नहीं मार रहा जिससे कुत्ता मेरी गाय को नहीं काट रहा है जिससे मेरी गाय घर नहीं जा रही है और मुझे दूध नहीं मिल रही है बुढ़िया की बात सुनकर "आग ने भी डंडे को जालने से साफ इंकार कर दिया। आग ने कहा " इसमें मेरा क्या फायदा"।
बुढ़िया फिर दुःखी मन से आगे जाने लगी, रास्ते मे उसे पानी दिखाई दिया। उसने पानी को अपनी सारी बातें बताई लेकिन पानी ने भी आग को बुझाने से इंकार कर दिया। बेचारी क्या करती फिर वंहा से निकल गई। कुछ दूर चलने के बाद उसे एक एक बैल मिला। बुढ़िया बैल से बोली "तुम इस पानी को पी जाओ" बैल ने भी पानी पिने से मना कर दिया।
कुछ दूर चलने के बाद रास्ते मे बुढ़िया को रस्सी दिखी। फिर रस्सी से बैल को बाँधने के लिए कहा लेकिन उसने भी साफ इंकार कर दिया। आगे बुढ़िया को चुहा दिखाई पड़ा उससे भी रस्सी को कुतरने के लिये मदद मांगी लेकिन चूहे ने भी साफ इंकार दिया।
तब अंत मे बुढ़िया को बिल्ली मौसी दिखी। उनसे अपनी सारी बात बताई। बिल्ली ने कहा "मैं चुहे को खाने के लिए तैयार हूँ लेकिन मुझे चुहे को खाने के बदले क्या मिलेगा"? बुढ़िया ने कहा " मैं तुम्हें चुहे को खाने के बदले एक कटोरी दुध दूंगी। बिल्ली मान गई। वो जैसे ही चूहे को खाने के लिए गई -
चुहा बोला- " रुको बिल्ली मौसी मैं रस्सी कुतरने के लिए तैयार हूँ"।
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जैसे ही चूहा रस्सी को कुतरने गया तो रस्सी बोला - "रूको मैं बैल को बाँधने के लिए तैयार हूँ।"
बैल बोला - "रूको मैं पानी पीने के लिए तैयार हूँ।"
पानी बोला - "नहीं नहीं मुझे मत पीना मैं आग बुझाने के लिए तैयार हूँ।"
आग बोला - " रुको मैं लकड़ी जलाने के लिए तैयार हूँ।"
लकड़ी बोली - "रूको मैं कुत्ते को मारने के लिए तैयार हूँ।"
कुत्ता बोला - "रूको मैं गाय को काटने के लिये तैयार हूँ।"
फिर गाय बोली - "रूको मुझे मत काटना मैं घर जाने के लिए तैयार हूँ।"
फिर बुढ़िया ने गाय का दूध निकाला और बिल्ली को एक कटोरी दूध पिलाई और शुकरीया अदा किया।
अच्छी कहानी है मुझे पसंद आई!
ReplyDeleteThanks
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